Luke 20:27-40

मरे म ले फेर जी उठे के बारे म सवाल

(मत्ती 22:23-33; मरकुस 12:18-27)

27सदूकीमन कहिथें कि जऊन मन मर गे हवंय, ओमन फेर नइं जी उठंय। ओम के कुछू झन यीसू करा आईन अऊ ओकर ले पुछिन, 28“हे गुरू, मूसा ह हमर बर लिखे हवय कि यदि कोनो मनखे के भाई ह अपन घरवाली के रहत बिगर संतान के मर जावय, त एह जरूरी ए कि ओ मनखे ह अपन भाई के बिधवा ले बिहाव करय अऊ अपन भाई बर संतान पैदा करय। 29एक जगह सात भाईमन रिहिन। बड़े भाई ह एक माईलोगन ले बिहाव करिस अऊ बिगर कोनो लइका के मर गीस। 30तब दूसरा भाई ह ओ माईलोगन ले बिहाव करिस, 31अऊ तब तीसरा भाई ह ओकर ले बिहाव करिस, अऊ इही किसम ले सातों भाई बिगर कोनो संतान के मर गीन। 32आखिर म ओ माईलोगन घलो मर गीस। 33तब ओ दिन जब मरे मनखेमन फेर जी उठहीं, त ओह काकर घरवाली होही, जबकि ओकर ले सात झन बिहाव करे रिहिन?”

34यीसू ह ओमन ला जबाब दीस, “ए जुग के आदमी अऊ माईलोगन मन सादी-बिहाव करथें, 35पर जऊन आदमी अऊ माईलोगन मन ए लइक ठहरथें कि ओमन मरे म ले जी उठंय अऊ ओ जुग म जीयंय; उहां ओमन के बीच म सादी-बिहाव नइं होवय। 36ओमन फेर कभू नइं मरंय; काबरकि ओमन स्वरगदूतमन सहीं होथें। ओमन परमेसर के संतान अंय काबरकि ओमन मरे म ले जी उठे हवंय। 37मरे मन जी उठथें, एला मूसा ह घलो जरत झाड़ी के घटना म बताथे, जिहां ओह परभू ला ‘अब्राहम के परमेसर, अऊ इसहाक के परमेसर, अऊ याकूब के परमेसर,’
निरगमन 3:6
कहिथे
बहुंत पहिली परमेसर ह मूसा ले बरत झाड़ी म ले गोठियाईस, पर ओ झाड़ी ह नास नइं होईस।
38एकर मतलब होथे कि ओह मरे मन के नइं, पर जीयत मन के परमेसर अय, काबरकि ओकर बर जम्मो झन जीयत हवंय।”

39कुछू कानून के गुरूमन कहिन, “हे गुरू, तेंह बने कहय!” 40एकर बाद ओमन ओला अऊ कोनो सवाल करे के हिम्मत नइं करिन।

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